किसानों के लिए संजीवनी बनी पूसा अरहर 16: चार महीने में तैयार, पैदावार 16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर; नवंबर में रबी की बुवाई का मौका – अयोध्या समाचार

कृषि क्षेत्र में एक और बड़ी सफलता सामने आई है। इस बार अरहर की नई किस्म पूसा अरहर 16 किसानों के लिए उम्मीद की नई किरण बनकर उभरी है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, दिल्ली द्वारा विकसित इस किस्म की सबसे बड़ी खासियत है कि यह केवल 120 से 130 दिनों में तैयार हो जाती है, जबकि पारंपरिक अरहर की फसल को पकने में 180 से 200 दिन लगते हैं।
कम समय में तैयार होने के बावजूद पूसा अरहर 16 प्रति हेक्टेयर औसतन 14 से 16 क्विंटल की अच्छी पैदावार देती है, जो पारंपरिक किस्मों की तुलना में अधिक है। आमतौर पर पुरानी किस्में 12 से 14 क्विंटल ही देती थीं।
अयोध्या के उपनिदेशक कृषि डॉ. पी.के. कनौजिया का कहना है कि यह किस्म किसानों के लिए अत्यंत लाभदायक है, क्योंकि इसकी कटाई के बाद रबी की दूसरी फसल की बुवाई संभव है। इससे किसानों की कुल आमदनी में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है।
उन्होंने बताया कि जुलाई का पहला सप्ताह इस किस्म की बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त समय है। यदि किसान इसी अवधि में बुवाई करते हैं, तो नवंबर तक कटाई कर रबी फसल की तैयारी कर सकते हैं। यही कारण है कि यह वैरायटी फसल विविधिकरण और आधुनिक कृषि प्रबंधन के लिए उपयुक्त मानी जा रही है।
राज्य सरकार और कृषि विभाग किसानों को पूसा अरहर 16 के बीज अनुदानित दरों पर उपलब्ध करवा रहे हैं। डॉ. कनौजिया ने जानकारी दी कि इस साल 835 हेक्टेयर भूमि पर अरहर की बुवाई हो रही है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 1325 हेक्टेयर था।
इसके अलावा, इस वर्ष उड़द की खेती 2558 हेक्टेयर क्षेत्र में की जा रही है, जो पिछले साल के मुकाबले (725 हेक्टेयर) में काफी ज्यादा है। कृषि विभाग किसानों की आय बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयासरत है।