बलरामपुर: करोड़ों खर्च के बाद भी बेकार पड़े आरआरसी सेंटर, गांवों में कचरे के ढेर

बलरामपुर में स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्रामीण इलाकों में बनाए गए रिसोर्स रिकवरी सेंटर (आरआरसी) लापरवाही और उपयोग न होने के कारण जर्जर हालत में पहुंच गए हैं। करोड़ों की लागत से बने ये केंद्र अब निष्क्रिय पड़े हैं, जिसके चलते गांवों में कूड़े का अंबार लगा हुआ है।

जिले के विकासखंड में 70 में से 67 ग्राम पंचायतों में आरआरसी केंद्र बनाए गए थे। हर केंद्र पर करीब 8 से 10 लाख रुपये खर्च किए गए। योजना के तहत घर-घर से कचरा इकट्ठा कर इन केंद्रों पर उसका निस्तारण और खाद बनाने की व्यवस्था थी। लेकिन न तो कूड़ा उठाया गया और न ही खाद बनाने की प्रक्रिया शुरू हो सकी। कई केंद्रों तक पहुंचने का रास्ता नहीं है, जबकि कुछ बुनियादी सुविधाओं के बिना ही खंडहर में तब्दील हो चुके हैं।

पुरैना वाजिद गांव का केंद्र सबसे खराब स्थिति में है। यहां टीन शेड टूटकर गिर चुका है और पूरी इमारत जर्जर हो चुकी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि योजना अच्छी थी लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही से यह पूरी तरह फेल हो गई। न कोई शुल्क लिया गया और न ही पंचायतों को आय हो पाई।

इस पर पंचायत विभाग ने सख्ती दिखाई है। प्रभारी एडीओ पंचायत मनोज कुमार ने सभी पंचायत सचिवों को निर्देश दिए हैं कि आरआरसी केंद्रों का रखरखाव सुनिश्चित किया जाए और संचालन जल्द शुरू किया जाए। उन्होंने चेतावनी दी है कि लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई होगी।

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