वाराणसी कलेक्ट्रेट में एयर रेड सायरन की मरम्मत: 1965 के युद्ध के बाद शहर में 12 स्थानों पर लगाए गए थे हवाई हमलों से आगाह करने वाले सायरन

वाराणसी के कलेक्ट्रेट में कई दशकों से खराब पड़े एयर रेड सायरन को अब ठीक करवा लिया गया है। आज इसे कलेक्ट्रेट की 200 साल पुरानी इमारत पर फिर से स्थापित किया जाएगा। ये एयर रेड सायरन आम जनता को हवाई हमलों से अलर्ट करने के लिए लगाए जाते थे। कलेक्ट्रेट के अलावा, चेतगंज स्थित सिविल डिफेंस कार्यालय और बनारस के 10 थानों में भी सायरन लगाए गए थे।
1965 के युद्ध के बाद लगे थे सायरन
भारत-पाकिस्तान के बीच 1965 में हुए युद्ध के बाद वाराणसी समेत देश के विभिन्न हिस्सों में सिविल डिफेंस की स्थापना की गई थी। हवाई हमलों से जनता को सूचित करने के लिए वाराणसी में 60 हैंडल वाले सायरन और 12 एयर रेड सायरन लगाए गए थे। इनमें से सायरन कलेक्ट्रेट, सिविल डिफेंस कार्यालय और 10 थानों की छतों पर लगे थे। हैंडल वाले सायरन शहर के सभी प्रखंडों में स्थापित किए गए थे।
मॉक ड्रिल में खराब सायरन का खुलासा
पहलवागाम में हुए आतंकी हमले और भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के दौरान यूपी में रेड अलर्ट जारी किया गया था। सरकार ने सिविल डिफेंस को सक्रिय मोड में लाकर सभी जिलों में मॉक ड्रिल के निर्देश दिए थे। जब मॉक ड्रिल के दौरान सायरन की जांच की गई, तो अधिकांश सायरन खराब पाए गए। इसके बाद, सायरन की मरम्मत के लिए मिस्त्री की तलाश शुरू की गई। 1960 के दशक के सायरन के पार्ट्स मिलना मुश्किल था, लेकिन बाद में एक मिस्त्री को ढूंढकर सायरन की मरम्मत की गई, और कलेक्ट्रेट में लगे सायरन को पहले ठीक किया गया।
आवाज 4 किलोमीटर दूर तक सुनाई देती है
सिविल डिफेंस के प्रभारी एडीएम सिटी आलोक वर्मा ने बताया कि कलेक्ट्रेट में स्थापित एयर रेड सायरन की आवाज 3 से 4 किलोमीटर दूर तक सुनाई देती है। एक बार शुरू होने के बाद यह सायरन चार से पांच मिनट तक बजता है। इसका परीक्षण कलेक्ट्रेट में किया जाएगा। ये सभी सायरन 1965 में बनाए गए थे।
हैंडल वाले सायरन की मरम्मत भी होगी
एडीएम सिटी आलोक वर्मा ने बताया कि सिविल डिफेंस के पास कुछ हैंडल वाले सायरन ठीक हैं, जबकि बाकी खराब पड़े हुए हैं। एयर रेड सायरन की मरम्मत के बाद हैंडल वाले सायरन की भी मरम्मत की जाएगी।