उड़ान ड्यूटी नियमों की अनदेखी पर विवाद तेज, पायलट संघ ने हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की

फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) के नए नियमों के अधूरे क्रियान्वयन को लेकर विवाद बढ़ गया है। दिल्ली हाई कोर्ट ने सिविल एविएशन रेगुलेटर से सवाल किया कि अदालत द्वारा स्वीकृत नई व्यवस्था अब तक पूरी तरह लागू क्यों नहीं की गई। यह टिप्पणी उस समय की गई जब पायलट संघ ने नियामक पर अदालती निर्देशों की अवमानना का आरोप लगाया।
पायलट संघ का आरोप है कि नियामक ने अदालत के सामने किए लिखित वादे का पालन नहीं किया। उनका कहना है कि कई एयरलाइंस—विशेष रूप से एयर इंडिया और स्पाइसजेट—को अभी भी पुराने नियमों के तहत ऑपरेशन की अनुमति दी जा रही है, जबकि 1 जुलाई से 1 नवंबर के बीच नए मानकों को चरणबद्ध तरीके से लागू करने का आश्वासन दिया गया था। संघ का तर्क है कि सुरक्षा से जुड़ी नीतियों में ढील देकर एयरलाइंस के व्यावसायिक हितों को तरजीह दी जा रही है।
सुनवाई के दौरान अदालत ने यह जानना चाहा कि किस आदेश का जानबूझकर उल्लंघन किया गया है। नियामक की ओर से बताया गया कि अस्थायी राहत देने का अधिकार उन्हें है, और यह छूट केवल छह महीने के लिए है जिसकी समय-समय पर समीक्षा होगी। अदालत ने पायलट संघ को संबंधित दस्तावेज पेश करने के लिए समय दिया और मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर 2025 तय की।
अर्जी में यह भी कहा गया है कि नियामक ने रात में अधिक लैंडिंग की अनुमति और ड्यूटी घंटे बढ़ाने जैसी ढील दी हैं, जो नई FDTL नीति के खिलाफ हैं। इस नीति का उद्देश्य पायलटों को अधिक आराम सुनिश्चित कर सुरक्षा को मजबूत करना है। 22 में से 15 नियम 1 जुलाई 2025 से लागू हो चुके हैं, जबकि शेष नियम 1 नवंबर 2025 से लागू किए जाने थे।
