हाई कोर्ट न्यूज़ :17 साल पहले फर्रुखाबाद में मां, बहन और पत्नी की हत्या में फांसी की सजा से दो भाई बरी हुए

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 17 वर्ष पहले मां, बहन व पत्नी को गड़ासे से काटने के बाद गोलियों से भून कर निर्मम हत्या मामले में फांसी की सजा पाए दो चचेरे भाइयों की दोषमुक्त कर दिया। यह फैसला न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने सुनाया है। फर्रुखाबाद के ईसी एक्ट के विशेष न्यायाधीश की अदालत से मिली फांसी और 60 हजार रुपये जुर्माने की सजा के खिलाफ चचेरे भाई मो. कलीम और मो.शकील ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

 

मामला फर्रुखाबाद के कोतवाली थाना क्षेत्र का है। मोहल्ला खटकपुरा निवासी शकील ने 26 जुलाई 2007 को शहर कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जिसमें कहा गया था कि उनके रिश्तेदार मोहम्मद कलीम मोहल्ला छावनी फाटक में रहते है। उनके साथ उनकी पत्नी यासमीन, मां नूर जहां व बहन नसरीन रहती हैं। तीनों को रात में सोते समय पहले धारदार हथियार से काटा गया और फिर गोलियां मारी गईं। इस घटना में भाई कलीम भी गंभीर रूप से घायल हुआ।

विवेचक तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक अशोक कुमार शुक्ला ने हत्या के आरोप में मो. कलीम, मो. शकील व पड़ोसी मोहल्ला चोबदारान निवासी लल्लन उर्फ लल्ला के खिलाफ न्यायालय में आरोपपत्र दाखिल कर दिया। लगभग 15 साल चले ट्रायल के बाद ईसी एक्ट न्यायालय के विशेष न्यायाधीश राकेश कुमार सिंह ने दोनों भाइयों को 13 अक्टूबर 2022 को दोषी करार देते हुए फांसी और 60 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई जबकि साक्ष्य के अभाव में तीसरा आरोपी लल्लन उर्फ लल्ला बरी कर दिया गया।

 

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