आगरा में पुलिस पर हमले का केस: सबूत न मिलने पर 2014 के मामले में दो भाई बरी

आगरा में पुलिस टीम पर हुए जानलेवा हमले के मामले में अदालत ने दो सगे भाइयों—कल्ला और रामसेवक—को आरोपों से मुक्त कर दिया। अदालत ने यह फैसला सबूतों की कमी और गवाहों के बयानों में पाई गई विसंगतियों के आधार पर सुनाया। यह प्रकरण वर्ष 2014 से लंबित था।
मामला 17 दिसंबर 2014 का है, जब पुलिस अपहृत रवी मिश्रा को छुड़ाने के लिए अभियान चला रही थी। कार्रवाई के दौरान आरोपितों ने पुलिस पर फायरिंग कर दी। पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई की, लेकिन हमलावर मौके से भाग निकले। सौभाग्य से पुलिस टीम को कोई नुकसान नहीं हुआ।
अदालत में रवी मिश्रा ने बयान दिया कि 29 नवंबर 2014 की रात उसका बोलैरो वाहन से अपहरण किया गया था और फिरौती की मांग की गई थी। करीब तीन सप्ताह बाद पुलिस ने उसे सुरक्षित बचा लिया।
अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयान आपस में मेल नहीं खाते थे, वहीं बचाव पक्ष द्वारा पेश किए गए तर्कों के मद्देनजर अदालत ने माना कि आरोप साबित नहीं हो पाए। नतीजतन, दोनों भाइयों को बरी करने का आदेश दिया गया।
यह मामला उस दौर में पुलिस सुरक्षा और अपहरण विरोधी अभियानों से जुड़ी चुनौतियों का एक प्रमुख उदाहरण बनकर सामने आया था
