उन्नाव के जैतीपुर गांव में स्थित भैसेश्वर मंदिर में एक अनोखी परंपरा: यहाँ कोई भगवान नहीं हैUnnao News: भैंसे की पूजा होती है, मंदिर में सैकड़ों भैंसे की मूर्तियां स्थापित हैं
उन्नाव के नवाबगंज विकास खंड स्थित जैतीपुर गांव में एक अत्यंत अनोखा और प्राचीन मंदिर है, जो भैसेश्वर मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर की विशिष्टता उसकी पूजा पद्धति और श्रद्धालुओं की मान्यता में निहित है। यहां भक्त भैसे की मूर्ति की पूजा करते हैं,
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भैसेश्वर मंदिर का इतिहास सैकड़ों वर्षों पुराना है। यह मंदिर जैतीपुर गांव के धार्मिक जीवन का अभिन्न हिस्सा है और ग्रामीणों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। मंदिर के अंदर और बाहर भैसे की कई मूर्तियां देखी जा सकती हैं। जो कि भक्तों की धार्मिक मान्यता और आस्था का प्रतीक हैं। हर साल भक्तगण अपनी मनोकामनाएं पूर्ण होने पर इन मूर्तियों को यहां स्थापित करते हैं जिससे मंदिर का वातावरण और भी पावन और आकर्षक बन जाता है।
मंदिर की प्रमुख परंपरा हर साल एक भव्य झांकी निकालने की है। यह झांकी न केवल धार्मिक आयोजन होती है। बल्कि गांव के सांस्कृतिक जीवन का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है। झांकी के दौरान मंदिर के भक्तगण बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ भाग लेते हैं। यह आयोजन स्थानीय लोगों के बीच एकता और सामुदायिक भावना को बढ़ावा देता है।
मंदिर के वार्षिक मेले का आयोजन भी गांव के धार्मिक कैलेंडर का एक प्रमुख हिस्सा है। इस मेले में आसपास के गांवों और शहरों से भी लोग आते हैं। मेले में विभिन्न प्रकार के पारंपरिक खाद्य पदार्थ सांस्कृतिक प्रदर्शन और धार्मिक गतिविधियां होती हैं। यह मेला स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देता है और गांव की सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करता है।
इस अवसर पर क्षेत्रीय नेताओं और प्रमुख व्यक्तियों की उपस्थिति भी देखी जाती है। भाजपा के मंडल अध्यक्ष दुर्गेश तिवारी, विद्याभूषण मौर्या, अंसू साहू, गिरजा शंकर और बच्चू मौर्य जैसे स्थानीय नेता और प्रमुख लोग इस मेले में शामिल होते हैं। उनकी उपस्थिति से आयोजन को अधिक मान्यता मिलती है और ग्रामीणों को भी प्रेरणा मिलती है।
मंदिर की इस अनोखी परंपरा और सालाना मेले का महत्व स्थानीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं में गहराई से समाहित है। भैसेश्वर मंदिर के प्रति भक्तों की श्रद्धा और आस्था इस मंदिर की महत्वता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मंदिर के आसपास के क्षेत्र में इस धार्मिक स्थल की सांस्कृतिक और सामाजिक भूमिका का बखूबी एहसास किया जा सकता है, जो कि गांव की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध करता है।