बुन्देलखण्ड बल्क ड्रग पार्क दवा निर्माण का हब बनेगा और योगी सरकार ड्राई पोर्ट बना रही है।

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार बुंदेलखंड को बल्क ड्रग के उत्पादन का हब बनाएगी। बुंदेलखंड के ललितपुर में बनने वाले बल्क ड्रग पार्क के साथ ही प्रदेश सरकार ने यहां ड्राई पोर्ट के लिए जमीन आवंटित की है। ललितपुर के बल्क ड्रग पार्क से 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कार्गो एयरपोर्ट स्थित है जबकि इसी के पास प्रदेश सरकार ने ड्राई पोर्ट के लिए 60 एकड़ जमीन आवंटित की है। पार्क में तैयार हो बाहर भेजी जाने वाली दवाओं के लिए यहां पर कस्टम क्लीयरेंस सुविधाएं उपलब्ध होंगी। पार्क के करीब ही इनलैंड कंटेनर डिपो (आईसीडी) बनाया जा रहा है।

औद्योगिक विकास विभाग के अधिकारियों के मुताबिक ड्राई पोर्ट में आईसीडी के लिए यहां ऑफिस बनाया जाएगा। यहां कस्टम ऑफिस, एजेंसी के साथ शिपिंग लाइन्स और एजेंट के ठहरने की जगह होगी। साथ ही कंटेनर स्टैकिंग एरिया, भारी उपकरणों के लिए मानक के अनुसार फुटपाथ, आयात-निर्यात के लिए लंबे समय के लिए गोदाम होंगे। इसके अलावा टर्मिनल में प्रवेश की प्रतीक्षा कर रहे वाहनों के लिए पर्याप्त पार्किंग स्थान, इलेक्ट्रॉनिक वेटब्रिज, कंटेनरों की लोडिंग व अनलोडिंग और कंटेनरों को भरने और खाली करने के लिए आधुनिक हैंडलिंग उपकरण आदि की सुविधा मिलेगी।

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प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि बुंदेलखंड के ललितपुर में बल्क ड्रग पार्क बनाने का फैसला महत्व रखता है, क्योंकि प्रदेश में यह जगह ही ऐसी है, जो बल्क ड्रग पार्क के सारे मानकों पर खरी उतरती है। बल्क ड्रग पार्क के लिए पर्याप्त बिजली आपूर्ति, बढ़िया कनेक्टिविटी, जलापूर्ति, डिजिटल फाइबर कनेक्टिविटी समेत तमाम आवश्यक आधारभूत संरचनाओं की विशेष जरूरत होती है। इन सभी मानकों पर ललितपुर खरा उतरता है।

उन्होंने बताया कि बल्क ड्रग पार्क के लिए शुरुआती अनुमान के अनुसार 25 एमएलडी पानी की जरूरत होगी, जिसमें केवल 15 एमएलडी शुद्ध ताजे पानी की आवश्यकता होगी जबकि 10 एमएलडी पानी को प्लांट के अंदर ही रिसाइकिल कर उपयोग में लाया जाएगा। बल्क ड्रग पार्क के ठीक बाहर जामनी नदी पर बने चेक डैम से ही यहां जलापूर्ति की जाएगी। इसके अलावा ललितपुर में कई बड़े जलाशय हैं, जो पानी की कमी को सालभर पूरा करने में सक्षम हैं।

प्रवक्ता ने बताया कि पार्क के लिए अनुमानित बिजली की मांग लगभग 200 मेगावाट की होगी. इसके लिए पार्क में ट्विन फीडर का 220 केवी सबस्टेशन स्थापित किया जाएगा। ऐसे में पार्क के पास पहले से बिजली आपूर्ति स्रोत स्थित हैं। इनमें 1980 मेगावाट क्षमता का थर्मल पावर प्लांट और 600 मेगावाट क्षमता का अल्ट्रा-मेगा सौर पार्क शामिल है, जिससे पार्क को बिजली की सप्लाई दी जाएगी। उन्होंने बताया कि पार्क के लिए रोड कनेक्टिविटी का काफी का महत्व है। ऐसे में पार्क से 25 किमी. की दूरी पर नेशनल हाइवे-44 स्थित है, जो देश का सबसे लंबा नेशनल हाइवे है। यह हाइवे श्रीनगर से कन्याकुमारी तक देश के 13 राज्यों को जोड़ता है। इससे ड्रग के आयात और निर्यात को काफी सहूलियत होगी।

 

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