‘कांस्पिरेसी गोधरा’ एक सच्ची घटना पर आधारित फिल्म है: रणवीर शौरी, मनोज जोशी, फिल्म 2024 में रिलीज होगी
सत्य घटना से प्रेरित फिल्म ‘एक्सीडेंट या कांस्पिरेसी गोधरा’ के निर्माता बी.जे. पुरोहित और निर्देशक एम.के. शिवाक्ष हैं। मुख्य किरदार रणवीर शौरी, मनोज जोशी, हितु कनोडिया, डेनिशा घुमरा, अक्षिता नामदेव, गुलशन पाण्डेय, गणेश यादव, राजीव सुरति आदि ने निभाया है। फिल्म का विषय गोधरा कांड की जांच के लिए गठित की गई नानावटी जांच आयोग की जारी रिपोर्ट पर आधारित है। इसके जरिए निर्माता घटना की सच्चाई बताना चाहते हैं। फिल्म संदेश देती है कि दंगा हमेशा गलत होता है। ऐसी नौबत ही न आए कि कोई दंगा हो। यहां जानिए ‘एक्सीडेंट या कांस्पिरेसी गोधरा’ की मेकिंग कहानी निर्देशक एम.के. शिवाक्ष की जुबानी-
कहानी और उस पर रिसर्च
हमारी पूरी टीम ‘एक्सीडेंट या कांस्पिरेसी गोधरा’ फिल्म के सब्जेक्ट पर पिछले पांच-छह साल से काम कर रही है। पहले गोधरा में ट्रेन बर्निंग और उसके बाद गुजरात दंगा हुआ। इन दोनों के लिए नानावटी मेहता इंक्वायरी कमीशन बैठा था, उसकी जो रिपोर्ट आई थी, उस पर सुप्रीम कोर्ट ने जजमेंट दिया था। बेसिकली, यह पूरी फिल्म नानावटी मेहता कमीशन बेस्ड कोर्ट रूम ड्रामा है। फिल्म का फ्लैशबैक दंगे के रीजन पर आती है और उसके बारे में इंक्वायरी करती है कि कैसे हुआ? कहाँ से यह उठा? इसके मास्टरमाइंड कौन थे? कौन प्लान किया था? इसके रिकॉर्डिंग विजुअल चलता है। फिल्म में बहुत सारी ऐसी चीजें भी हैं, जो पब्लिक डोमेन में नहीं हैं, पर उनका प्रूफ हमारे पास है।
35 दिनों में बड़ोदरा, हैदराबाद, मुंबई, अयोध्या में शूट हुई फिल्म।
रिचर्स के दौरान हम हजार से ज्यादा लोगों से मिले। यह इतना सेंसिबल टॉपिक है कि सब कुछ जानते हुए भी लोग बात नहीं करना चाहते। वे तमाम चीजों को लेकर सशंकित रहते हैं। लेकिन इसमें घटनास्थल पर रहने वालों से लेकर रेलवे कर्मचारी, ड्राइवर, फायर ब्रिगेड गाड़ियों को चलाने वाले आदि की इसमें सारी डिटेलिंग है। कायदा कहता है कि स्टेट में कोई दंगा वगैरह होता है, तब इंक्वायरी कमीशन वह स्टेट ही बना सकता है। अदर स्टेट या सेंट्रल नहीं बना सकता। लेकिन सेंट्रल रेलवे ने यूसी बनर्जी कमीशन बनाया। फिर भी उसे कंसीडर किया गया, तब उसकी हर चीज गलत पायी गई। हम किसी के सपोर्ट या खिलाफ में फिल्म नहीं, बल्कि सच पर बनायी हैं, इसलिए बोला कि यह इंक्वायरी कमीशन पर बेस्ड फिल्म है।
फिल्म में एक साथ चलती हैं तीन कहानियां
फिल्म में एक साथ तीन ट्रैक चलता है। पहला कोर्ट रूम ड्रामा चलता है। दूसरा ट्रेन जलाने की प्लानिंग वाली चीजों को दिखाया है, जो बैकग्राउंड में चलती है। तीसरा कारसेवक को दिखा रहे हैं कि वे कौन हैं, क्या करते हैं। उनकी लाइफ में रामजी कितना इंपोर्टेंट रखते हैं। कारसेवक को ही राम भक्त कहा जाता है। फिल्म में उनका एक इमोशनली अटैचमेंट है ताकि ड्रामेटिक न लगे।
गोदरा कांड की वास्तविक तस्वीर।।
कई एक्टर फिल्म करने से मना कर दिए
हमने कई एक्टर को अप्रोच किया, पर एक-एक महीना टाइम लेने के बाद भी लोगों ने फिल्म करने से मना कर दिया। ऐसी फिल्मों को करने के लिए कोई डायरेक्ट मना नहीं करता, बल्कि बहानेबाजी करके मना कर देते हैं। किसी ने डेट इश्यू तो किसी ने तारीफ करते हुए कुछ और रीजन देते हुए मना कर दिया। कुल 10-12 ज्यादा लोगों ने फिल्म करने से मना किया। हमारी फिल्म में कोई हीरो नहीं, बल्कि पूरी फिल्म ही हीरो है। सो किसी किरदार के लिए नहीं, बल्कि फिल्म करने के लिए मना किया। फिल्म में रणवीर शौरी एडवोकेट महमूद कुरैशी और गवर्नमेंट एडवोकेट रवींद्र पंड्या मनोज जोशी बने हैं।
शूट से पहले कई एक्टर्स ने बैक आउट कर दिया था।
गुजरात के एक्टर हितु कनोडिया- स्टेशन मास्टर, गुलशन पांडे- आरपीएफ रवि मोहन और हमीद बिलाल का कैरेक्टर गणेश यादव ने निभाया है। इन सबने पूरी डिटेल सुनी, तब उनको लगा कि यह फिल्म करनी चाहिए।
हैदराबाद, मुंबई, वड़ोदरा, अयोध्या में शूट हुई फिल्म
यह फिल्म हैदराबाद स्थित रामोजी फिल्मसिटी, मुंबई, अयोध्या, गुजरात के वड़ोदरा आदि लोकेशनों पर शूट की गई। पूरी फिल्म को कुल 35 दिनों में शूट किया गया। रामोजी फिल्मसिटी में 12-13 दिन, वड़ोदरा में 5-6 दिन, मुंबई के समीप पालघर और मढआईलैंड में 11 से 12 दिन शूट किया। मढ़ में कोर्ट रूम व रामलीला और मस्जिद का सेटअप पालघर में लगाया गया। पूर्णाहुति महायज्ञ सीन रियल लोकेशन अयोध्या में फिल्माया गया है। कॉलेज और ट्रेन के अंदर लोगों के गाँव को वड़ोदरा में फिल्माया है। रामोजी फिल्मसिटी में सेट लगाकर गोधरा स्टेशन और पूरा ट्रेन का सीक्वेंस शूट किया, क्योंकि गर्वमेंट की तरफ से कहीं पर ट्रेन सीक्वेंस फिल्माने का परमीशन मिल नहीं रहा था। इसके सेटअप में पूरा एक महीना लगा। एस-6 बोगी में 200 से ज्यादा लोग थे, उसके अंदर हमें भीड़ दिखाना था। इसे शूट करने वाले सभी लोग बड़े इमोशनल हो जा रहे थे। लोग लिटरली रो रहे थे।
इस फिल्म में रणवीर शौरी वकील का किरदार निभाते नजर आए हैं।
हमें लगा कि कहीं किसी को चोट वगैरह लग गई, लेकिन पता लगा कि लोग इमोशनल होकर रो रहे हैं। अक्सर सेट पर लोग सीरियस रहते थे। पहले ट्रेन सीक्वेंस का प्लान मुंबई में था, पर नहीं हो पाया। मुंबई स्थित मीरा रोड में ट्रेन बनाना भी शुरू कर दिया गया था, पर परमीशन की दिक्कत के चलते हैदराबाद में बनाया गया। सबसे ज्यादा महंगा सेट ट्रेन और प्लेटफॉर्म का सेट रहा। इसे बनाने में ही कम से कम 1 से 2 करोड़ लग गया। सेट पर हमेशा 150 से 200 जूनियर आर्टिस्ट मौजूद रहते थे। ट्रेन सीक्वेंस के लिए तो 500-600 से ज्यादा आर्टिस्ट आए थे।
लगभग 1200 से 1300 सिनेमाघर में लाने का प्लान
हमारी कोशिश होगी कि ज्यादा से ज्यादा सिनेमाघर में यह फिल्म आए ताकि देश के लोग गोधरा कांड के सच को जान सकें। कितने सिनेमाघर में फिल्म रिलीज होगी, इसका सही नंबर तो प्रोड्यूसर ही बता सकते हैं। फिर भी लगभग 1200 से 1300 सिनेमाघर में लाने का प्लान है।
इसलिए 27 फरवरी को रखा गया रिलीज डेट
इस फिल्म को इलेक्शन वगैरह को ध्यान में रखकर बिल्कुल रिलीज नहीं कर रहे हैं। यह घटना 27 फरवरी, 2002 को हुई थी। ट्रेन के अंदर क्या-क्या हुआ, उस पर डिटेलिंग है, इसलिए इससे हमारा इमोशनली अटैचमेंट है। लोग इससे जुड़ पाएं, इसलिए रिलीज डेट 27 फरवरी रखी गई है।