Tuesday, December 5, 2023
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उत्तर प्रदेश | स्वयं सहायता समूह के रूप में समुदाय में समुदाय के सदस्यों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए

 

 

  • ग्राम संगठन संघों को बढ़ाने के लिए हर ब्लॉक के लिए निर्धारित किया गया लक्ष्य

लखनऊ: राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत ग्राम संगठन के माध्यम से स्वयं सहायता समूहों के संचालन को मजबूती  प्रदान करने के लिए  उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) द्वारा ग्राम संगठन (Village Organization) दलो (Teams) को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। ग्राम संगठन के गठन का उद्देश्य स्वयं सहायता समूह के पदाधिकारियों व सदस्यों को मनोबल बढ़ाते हुए उनकी कार्यक्षमता को बढ़ाना व गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम में सहयोग करना है।

शासन द्वारा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन योजना की प्रगति की समीक्षा के लिए ग्राम्य विकास आयुक्त जीएस प्रियदर्शी को नामित किया गया है। योजना की प्रगति जानने के लिए प्रत्येक मंगलवार को समीक्षा कर आवश्यक दिशा और निर्देश निर्गत किए जाएंगे। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के निर्देशों के क्रम में  राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की मिशन निदेशक द्वारा सभी जिलों के उपायुक्त (स्वत: रोजगार) को निर्देश दिए गए हैं कि सीनियर आन्तरिक  सामुदायिक सन्दर्भ व्यक्तियों (Sr.ICRP)- ग्राम संगठन दलो  की संख्या बढ़ायी जाय। प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्तमान में पूरे प्रदेश में लगभग 1700 सीनियर ICRP ग्राम संगठन टीम एक्टिव होकर काम कर रहीं हैं। वर्तमान ग्राम संगठन गठन के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सीनियर ICRP ग्राम संगठन दलों की संख्या 4000 करने के निर्देश दिए गए हैं।

यह भी पढ़ें

वर्तमान वित्तीय वर्ष के लक्ष्य को देखते हुए हर जनपद के प्रत्येक विकास खंड को न्यूनतम 5 और अधिकतम 10 सीनियर ICRP ग्राम संगठन का चयन कर  मिशन मुख्यालय को अवगत कराने के  निर्देश जारी किए गए हैं, जिससे नए चयनित सीनियर ICRP टीमों का प्रशिक्षण पूर्ण कराकर ग्राम संगठनों के गठन के लक्ष्य को ससमय पूर्ण कराना सुनिश्चित हो सके। गांवों में स्वयं सहायता समूहों के बाद ग्राम संगठन द्वितीय स्तर की संस्था है। ग्राम संगठन  समूहों को अपनी बात, समस्या, मांगे, सुझाव रखने के लिए मंच प्रदान करता है।

एक गांव में आवश्यकतानुसार एक से अधिक भी ग्राम संगठन हो सकते हैं। ग्राम संगठन की मुख्य जिम्मेदारी है, गरीब परिवारों को समूह के साथ जोड़ना, वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना, समूहों को बैंक से लिंकेज में सहायता करना, समूह के सदस्यों को उनके हक और अधिकार की जानकारी देने के साथ-साथ सामाजिक एवं जीवकोपार्जन के मुद्दों पर करना है। ग्राम संगठन की कार्यकारिणी समिति अपने पदाधिकारियों का चयन करती है। सभी पदाधिकारियों का कार्यकाल 2 वर्ष के लिए होता है और नियमित अंतराल में बदलाव किया जाता है पदाधिकारियों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, उपसचिव, कोषाध्यक्ष का चयन होता है।

 

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  • ग्राम संगठन संघों को बढ़ाने के लिए हर ब्लॉक के लिए निर्धारित किया गया लक्ष्य
लखनऊ: राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत ग्राम संगठन के माध्यम से स्वयं सहायता समूहों के संचालन को मजबूती  प्रदान करने के लिए  उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) द्वारा ग्राम संगठन (Village Organization) दलो (Teams) को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। ग्राम संगठन के गठन का उद्देश्य स्वयं सहायता समूह के पदाधिकारियों व सदस्यों को मनोबल बढ़ाते हुए उनकी कार्यक्षमता को बढ़ाना व गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम में सहयोग करना है। शासन द्वारा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन योजना की प्रगति की समीक्षा के लिए ग्राम्य विकास आयुक्त जीएस प्रियदर्शी को नामित किया गया है। योजना की प्रगति जानने के लिए प्रत्येक मंगलवार को समीक्षा कर आवश्यक दिशा और निर्देश निर्गत किए जाएंगे। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के निर्देशों के क्रम में  राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की मिशन निदेशक द्वारा सभी जिलों के उपायुक्त (स्वत: रोजगार) को निर्देश दिए गए हैं कि सीनियर आन्तरिक  सामुदायिक सन्दर्भ व्यक्तियों (Sr.ICRP)- ग्राम संगठन दलो  की संख्या बढ़ायी जाय। प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्तमान में पूरे प्रदेश में लगभग 1700 सीनियर ICRP ग्राम संगठन टीम एक्टिव होकर काम कर रहीं हैं। वर्तमान ग्राम संगठन गठन के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सीनियर ICRP ग्राम संगठन दलों की संख्या 4000 करने के निर्देश दिए गए हैं।
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वर्तमान वित्तीय वर्ष के लक्ष्य को देखते हुए हर जनपद के प्रत्येक विकास खंड को न्यूनतम 5 और अधिकतम 10 सीनियर ICRP ग्राम संगठन का चयन कर  मिशन मुख्यालय को अवगत कराने के  निर्देश जारी किए गए हैं, जिससे नए चयनित सीनियर ICRP टीमों का प्रशिक्षण पूर्ण कराकर ग्राम संगठनों के गठन के लक्ष्य को ससमय पूर्ण कराना सुनिश्चित हो सके। गांवों में स्वयं सहायता समूहों के बाद ग्राम संगठन द्वितीय स्तर की संस्था है। ग्राम संगठन  समूहों को अपनी बात, समस्या, मांगे, सुझाव रखने के लिए मंच प्रदान करता है। एक गांव में आवश्यकतानुसार एक से अधिक भी ग्राम संगठन हो सकते हैं। ग्राम संगठन की मुख्य जिम्मेदारी है, गरीब परिवारों को समूह के साथ जोड़ना, वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना, समूहों को बैंक से लिंकेज में सहायता करना, समूह के सदस्यों को उनके हक और अधिकार की जानकारी देने के साथ-साथ सामाजिक एवं जीवकोपार्जन के मुद्दों पर करना है। ग्राम संगठन की कार्यकारिणी समिति अपने पदाधिकारियों का चयन करती है। सभी पदाधिकारियों का कार्यकाल 2 वर्ष के लिए होता है और नियमित अंतराल में बदलाव किया जाता है पदाधिकारियों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, उपसचिव, कोषाध्यक्ष का चयन होता है।